नागरिकता संशोधन कानून: सर्वोच्च न्यायालय का बड़ा फैसला CAA ?

नागरिकता संशोधन कानून: सर्वोच्च न्यायालय का बड़ा फैसला  CAA



 नाग रि कता संशोधन अ धि नि यम (CAA) मे

CAA मेसमुदायो हि दं ू, सि ख, ईसाई, जैन, बौद और पारसी शा मि ल है। इनेके वल भारतीय नाग रि कता तब ही मि ल सकती है, जब इनोने 31 दि संबर 2014 को या उससेपहलेभारत मेशरण ली हो।देशभर मेलागूहआ CAA, सरकार नेजारी कि या नो टि फि के शन, तीन देशो के गैर मु सि म शरणा रथि यो को मि लेगी नाग रि कताCAA के तहत मु सि म समुदाय को छोड़कर तीन मु सि म बहल पड़ोसी मुलो सेआनेवालेबाकी धमो के लोगो को नाग रि कता देनेका पावधान है. के द सरकार नेसीएए सेसंबं धि त एक वेब पो रटल तैयार कि या है. तीन मु सि म बहल पड़ोसी मुलो सेआनेवालेवहां के अलसंखको को इस पो रटल पर अपना र जि सटेशन कराना होगा और सरकारी जांच पड़ताल के बाद उनेकानून के तहत नाग रि कता दी जाएगी.

नाग रि कता (संशोधन) अ धि नि यम, ,2019 का है


नाग रि कता संशोधन कानून यानी CAA का फु ल फॉ रम Citizenship Amendment Act है। येसंसद मेपास होनेसेपहले CAB यानी (Citizenship Amendment Bill) था। राषप ति की मुहर लगनेके बाद ये बि ल नाग रि क संशोधन कानून (CAA, Citizenship Amendment Act) यानी एक बन गया है।


भारतीय नाग रि कता देनेका रासा खोलता है, जि नोनेलंबेसमय सेभारत मेशरण ली हई है। इस कानून मेकि सी भी भारतीय, चाहे  वह कि सी मजहब का हो, की नाग रि कता छीननेका कोई पावधान नही है। यह भारत की संसद दारा पा रि त एक अ धि नि यम है जि सके दारा सन 1955 का नाग रि कता कानून को संशो धि त करके यह ववसा की गयी है कि 31 दि समर 2014 के पहलेपा कि सान, बांगादेश और अफगा नि सान सेभारत आए हि नू, बौद, सि ख, जैन, पारसीएवं ईसाई को भारत की नाग रि कता पदान की जा सके गी। इस वि धेयक मेभारतीय नाग रि कता पदान करनेके लि ए आवशक 11 व रष तक भारत मेरहनेकी श रत मेभी ढील देतेहए इस अव धि को के वल 5 व रष तक भारत मेरहनेकी श रत के रप मेबदल दि या गया ।

नाग रि कता अ धि नि यम मेदेशीयकरण दारा नाग रि कता का पावधान कि या गया है। आवेदक को पि छले 12 महीनो के दौरान औरपि छले 14 वषो मेसेआ खि री साल 11 महीनेभारत मेरहना चा हि ए। कानून मेछह धमो ( हि दं ू, सि ख, जैन, बौद, पारसी और ईसाई) और तीन देशो (अफगा नि सान, बांगादेश और पा कि सान) सेसंबं धि त व कि यो के लि ए 11 व रष की जगह छह व रष तक का समय कानून है।

मेयह भी पावधान है कि य दि कि सी नि यम का उलंघन कि या जाता हैतो ओवरसीज सि टीजन ऑफ इं डि या (ओसीआई) कानून मेयह भी पावधान है कि य दि कि सी नि यम का उलंघन कि या जाता हैतो ओवरसीज सि टीजन ऑफ इं डि या (ओसीआई) का रडधारको का पंजीकरण रद कि या जा सकता है।

CAA लागू करने से लाभ ॽ



नागरिकता संशोधन कानून: सर्वोच्च न्यायालय का बड़ा फैसला  CAA



CAA मे वि दे शि यो के लि ए नाग रि कता का पावधान है। नाग रि कता संशोधन अ धि नि यम (सीएए) 2019 लागूहोता हैतो बांगादेश, पा कि सान और अफगा नि सान सेभारत मेआकर बसनेवालेगैर-मु सि म पवा सि यो ( हि दं ू, सि ख, जैन, बौद, पारसी और ईसाई) को नाग रि कता दी जाएगी।

सीएए ( CAA का मुख उदेश) ॽ

सीएए का उदेश पा कि सान, बांगादेश और अफगा नि सान के हि दं ू, सि ख, जैन, बौद, पारसी और ईसाइयो जैसेपता ड़ि तअलसंखको को भारतीय नाग रि कता पदान करना है।सीएए के मुख बि दं ुॽ

नाग रि कता अ धि नि यम, 1955 यह बताता है कि कौन भारतीय नाग रि कता पाप कर सकता हैऔर कि स आधार पर। कोई व कि भारतीय नाग रि क बन सकता हैय दि उसका जन भारत मेहआ हो या उसके माता- पि ता भारतीय हो या कु छ समय सेदेश मेरह रहे हो, आ दि । हालां कि ,  अवैध पवा सि यो को भारतीय नाग रि कता पाप करनेसेप ति बं धि त कि या गया है। अवैध पवासी वह वि देशी होता

हैजो: (i) पासपो रट और वीजा जैसेवैध याता दसावेजो के बि ना देश मेपवेश करता है, या (ii) वैध दसावेजो के साथ पवेश करता है, ले कि न अनुमत समय अव धि सेअ धि क समय तक रहता है।वि देशी अ धि नि यम, 1946 और पासपो रट (भारत मेपवेश) अ धि नि यम, 1920 के तहत अवैध पवा सि यो को कै द या नि रवा सि त कि या जा सकता है। 1946 और 1920 अ धि नि यम के द सरकार को भारत के भीतर वि दे शि यो के पवेश, नि कास और नि वास को वि नि य मि त करनेका अ धि कार देतेहै। 2015 और 2016 मे, के द सरकार नेअवैध पवा सि यो के कु छ समूहो को 1946 और 1920

अ धि नि यमो के पावधानो सेछूट देतेहए दो अ धि सूचनाएं जारी की थी। येसमूह अफगा नि सान, बांगादेश और पा कि सान से हि दं ू,सि ख, बौद, जैन, पारसी और ईसाई है, जो 31 दि संबर 2014 को या उससेपहलेभारत आए थे। इसका मतलब यह है कि अवैध पवा सि यो के इन समूहो को नि रवा सि त नही कि या जाएगा



नागरिकता संशोधन कानून: सर्वोच्च न्यायालय का बड़ा फैसला  CAA



CAA को लेकर का रहा वि वाद ॽ

नाग रि क (संशोधन) कानून मेअफगा नि सान, बांगादेश और पा कि सान से वि शि ष धा रमि क समुदायो ( हि दं ू, सि ख, जैन, ईसाई, बौद और पारसी) को अवैध अपवा सि यो के लि ए भारतीय नाग रि कता देनेका पावधान है। इस पर कु छ आलोचको का कहना है कि ये पावधान भेदभावपू रण है, को कि इसमेमुसलमानो को शा मि ल नही कि या गया है। जि सके कारण ये वि वादो मेघि रा हआ है।

सीएए लागूहोनेसेकि से मि ल सके गी नाग रि कता?

CAA लागूहोनेके बाद नाग रि कता देनेका अ धि कार पूरी तरह सेके द सरकार के पास होगा। पा कि सान, बांगादेश और CAA लागूहोनेके बाद नाग रि कता देनेका अ धि कार पूरी तरह सेके द सरकार के पास होगा। पा कि सान, बांगादेश और अफगा नि सान सेआए हि दं ू, सि ख, बौद, जैन, ईसाई और पारसी ध रम सेजुड़ेशरणा रथि यो को भारतीय नाग रि कता देदी जाएगी। बता दे कि जो लोग 31 दि संबर 2014 सेपहलेभारत मेआकर बस गए थे, उनेही नाग रि कता मि लेगी। इस कानून के तहत उन लोगो को

अवैध पवासी माना गया है, जो भारत मेवैध याता दसावेज (पासपो रट और वीजा) के बगैर घुस आए हैया फि र वैध दसावेज के साथ तो भारत मेआए है, ले कि न तय अव धि सेजादा समय तक यहां रक गए हो।

नाग रि कता के लि ए कै सेकरेआवेदन?

CAA के तहत मु सि म समुदाय को छोड़कर तीन मु सि म बहल पड़ोसी मुलो सेआनेवालेबाकी धमो के लोगो को नाग रि कता देने का पावधान है. के द सरकार नेसीएए सेसंबं धि त एक वेब पो रटल तैयार कि या गया है नाग रि कता पानेकी पूरी प कि या ऑनलाइन ही रखी गई है। जि सेलेकर एक ऑनलाइन पो रटल भी  तैयार कि या जा चुका है।

नाग रि कता पानेके लि ए आवेदको को अपना वह साल बताना होगा जब उनोने बि ना कि सी दसावेज के भारत मेपवेश कि या था।आवेदक से कि सी तरह का कोई दसावेज नही मांगा जाएगा। नाग रि कता सेजुड़े जि तनेभी मामलेलं बि त उन सबको ऑनलाइन  टांसफर कर दि या जाएगा। पात वि सा पि तो को सि रफ ऑनलाइन पो रटल पर जाकर अपना आवेदन करना होगा। गृह मंतालय आवेदनकी जांच करेगा और आवेदक को नाग रि कता जारी कर दी जाएगी ।

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